गौमाता में साक्षात् ३३ करोड़ देवातओंका वास है, ऐसी मान्यता है और इसे शास्त्रों का भी आधार है| गत कुछ दशको में यही गौमाता का महत्व और महानता को हम विस्मृति में खोता हुआ देख रहे है| जिस से समाज भी अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक गरिमा से भी दूर जाता हुआ प्रतीत होता है| संस्कृति पुनरुत्थान न्यास के माध्यम से गौमाता केन्द्रित सारे विषयों का अभ्यासक्रम एक ही छत्रछाया में श्रम शुल्क उपलब्ध कराने का हमारा संकल्प है|
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