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अभ्यासक्रम के ८ आयाम
  • (i) गौ कृषि
  • (ii) गौ ऋषी
  • (iii) गौ विज्ञानं
  • (iv) गौ स्वास्थ्य
  • (v) गौ स्वयं रोजगार
  • (vi) गौ भोजन शास्त्र
  • (vii) गौशाला प्रबंधन
  • (viii) गौ कला
  • इन आयामोके आधारपर २४ अभ्यासक्रम
    1. गौ आधारित कृषि
    2. गौमाता के पंचगव्य आधारित कृषि के सभी आयाम, प्रात्यक्षिक सह, गोबर के सभी प्रकार की खाद, किट खदेड़क और कृषि पोषक तत्व बनाने की एवं उपयोग की विधि, खेती में ज्योतिष शास्त्र का महत्व और उपयोग, खेत में पके अनाज का योग्य संग्रहण| (अभ्यासक्रम कालावधि – ३ सप्ताह)

    3. आधारित रोप वाटिका
    4. रोप वाटिका तैयार करने की विधि, उच्चतम गुणवत्ता के सभी प्रकार के बिज और रोप बनाने की विधि, रोप वाटिका हेतु खाद एवं पोषक तत्व बनाने की विधि| (अभ्यासक्रम कालावधि – ३ सप्ताह)

    5. गौ आधारित योग शास्त्र
    6. योग याने आत्मा और परमात्मा का योग याने मिलन| मुक्ति का मार्ग| मर्मात्मा से मिलाने योग्य शारीर, मन और प्राणोंको दिशा देने का काम अष्टांग योग से संभव है| इसी योग की पंचागाया आधारित विस्तृत जानकारी के साथ प्रात्यक्षिक, (अभ्यासक्रम कालावधि – ६ सप्ताह)

    7. गौ कथा
    8. गौ कीर्तन
    9. गौ कथा एवं गौ कीर्तन ही समाज में गौमाता के प्रति प्रेम भाव, श्रद्धा और वैज्ञानिक दृष्टी जागृत करनेका उत्तम साधन है| विद्वान कथाकार और कीर्तनकार के श्रीमुख से यह विषय पढाये जायेंगे| इस अभ्यासक्रम की कालावधि निश्चित नहीं बताई जा सकती| क्यों की यह सतत अभ्यास का विषय है| जब भी सुयोग्य अवसर मिलता रहेगा तब समय समय पर इस विषय का अभ्यास होता रहेगा|

    10. संस्कृत भाषा एवं ग्रन्थ लिपि
    11. गौमाता का विज्ञानं और महिमा का अभ्यास गहराई से करना है तो भारतीय शास्त्रों का आभ्यास आवश्यक होगा| और शास्त्रों के अभ्यास के लिए संस्कृत का अभ्यास अतीव आवश्यक है| साथ साथ ग्रन्थ समजने के लिए संस्कृत ग्रन्थ लिपि भी संस्कृत विद्वानों के द्वारा सिखाई जाएगी| (अभ्यासक्रम कालावधि – ६ सप्ताह)

    12. आरोग्य एवं कृषि ज्योतिष शास्त्र
    13. भारतीय जीवन में ज्योतिष शास्त्र का अनन्य साधारण महत्व रहा है| केवल फल ज्योतिष नहीं, पर आरोग्य ज्योतिष, कृषि ज्योतिष, मुहूर्त ज्योतिष इत्यादि अनेको ज्योतिष पहेलुओं से समाज जीवन विकसित होता रहा है| यहाँ इन सारे विषयों का ज्ञान इस अभ्यासक्रम में सिखाया जायेगा| (अभ्यासक्रम कालावधि – ९ सप्ताह)

    14. गोबर गैस CNG
    15. गौमाता के गोबर से गोबर गैस संयंत्र स्थापित करना, गोबर गैस का इंधन के रूप में उपयोग, गोबर गैस का शुद्धिकरण करके CNG प्राप्त करना, इस CNG को बैल बल आधारित संपीडक (कंप्रेसर) से गैस को अविस्तीर्ण स्थिति में टंकी में भरना| (अभ्यासक्रम कालावधि – ४ सप्ताह)

    16. विद्युत् उत्पादन
    17. गौमाता के गोबर से गोबर गैस संयंत्र स्थापित करना, गोबर गैस का इंधन के रूप में उपयोग करके विद्युत् जनित्र (जनरेटर) से विद्युत् निर्मिती| (अभ्यासक्रम कालावधि – ४ सप्ताह)

    18. बैल बल आधारित यंत्र
    19. बैल बल आधारित अनेक यन्त्र विकसित करना, जैसे, आटे की चक्की, तेल की घानी, कुंवे से जल प्राप्ति यन्त्र, गैस संपीडक यंत्र, विद्युत् जनित्र, घास काटने का यंत्र इत्यादि यन्त्र| (अभ्यासक्रम कालावधि – ४ सप्ताह)

    20. पर्यावरण पोषक घर
    21. पर्यावरण की रक्षा और संवर्धन करने हेतु सीमेंट के घरो का पर्याय याने बांस, लकड़ी, गोबर, मिटटी, चुना, गुड इत्यादि पर्यावरण पोषक साहित्य से घर की निर्मिती| (अभ्यासक्रम कालावधि – ६ सप्ताह)

    22. पंचगव्य चिकित्सा शास्त्र
    23. गौमाता से प्राप्त पंचगव्यो से निर्मित औषधि उपयोग से अनेको साध्य और असाध्य बीमारी का योग्य इलाज करना| पंचगव्य के दैनंदिन व्यवहार में उपयोग से निरोगी रहने का शास्त्र| (अभ्यासक्रम कालावधि – ८ सप्ताह)

    24. पंचकर्म चिकित्सा शास्त्र
    25. आयुर्वेद आधारित और पंचगव्य के माध्यम से शारीर शुद्धि का शास्त्र| (अभ्यासक्रम कालावधि – ३ सप्ताह)

    26. आधारित औषधि उत्पादन
    27. पंचगव्य से विविध बीमारी के लिए आवश्यक औषधि निर्मिती| (अर्क, आसव, मरहम, तेल, चूर्ण, वटी इत्यादि) (अभ्यासक्रम कालावधि – ४ सप्ताह)

    28. विपणन (मार्केटिंग)
    29. पंचगव्य से निर्मित विविध उत्पाद का विपणन का शास्त्र| (अभ्यासक्रम कालावधि – ४ सप्ताह)

    30. गौ आधारित कागज उत्पादन
    31. कागज उत्पाद में गोबर का कच्चे माल के रूप में उपयोग करना| कागज़ की विविध वस्तु की उत्पाद विधि| (अभ्यासक्रम कालावधि – ४ सप्ताह)

    32. गौ आधारित सौन्दर्य प्रसाधन एवं दैनंदिन आवश्यक वस्तु उत्पाद
    33. नहाने का साबुन, बर्तन का साबुन, तेल, दन्त मंजन, शैम्पू, धुप बत्ती, मच्छर धुप बत्ती, उबटन, लेप इत्यादि| (अभ्यासक्रम कालावधि – ४ सप्ताह)

    34. गौ आधारित अधिजनन शास्त्र
    35. सुदृढ़ और सुसंस्कृत समाज निर्मिती में अधिजनन शास्त्र का महत्वपूर्ण कार्य है| इस अभ्यासक्रम में अधिजनन शास्त्र को गहराई से सिखाया जायेगा| (अभ्यासक्रम कालावधि – ४ सप्ताह)

    36. भारतीय भोजन शास्त्र
    37. स्थल, काल, समय, ऋतू और प्रकृति से संतुलन बनाने हेतु और स्वास्थ्य वृद्धि करने वाला भोजन शास्त्र| (अभ्यासक्रम कालावधि – ४ सप्ताह)

    38. गौ शाला प्रबंधन
    39. पूर्ण रूप से आदर्श गौशाला, हमें कैसे अच्छा लगेगा ऐसे गौमाता को नहीं रखना है, परन्तु गौमाता को कैसे अच्छा लगेगा यह समज कर गौशाला का निर्माण और व्यवस्थापन शास्त्र| (अभ्यासक्रम कालावधि – ४ सप्ताह)

    40. गौ आधारित भारतीय कला शास्त्र
    41. गौ आधारित विविध भारतीय लोक कला एवं शाश्त्रीय कला शास्त्र| (अभ्यासक्रम कालावधि – ४ सप्ताह)

    42. जल व्यवस्थापन
    43. जल केवल गौमाता के लिए आवश्यक नहीं अपितु सम्पूर्ण मनुष्य जाती के लिए आवश्यक है| जल ही जीवन है| विद्वानों का मानना है की अगर तीसरा विश्व युद्ध होगा तो वह जल के लिए होगा| इसी कारण वश जल का योग्य व्यवस्थापन होना आवश्यक है| (अभ्यासक्रम कालावधि – ३ सप्ताह)

    44. गौवंशरक्षण
    45. गौवंश हत्या रोकने हेतु कानून तो बने है, परन्तु फिर भी गौवंश हत्या रुकी नहीं है| इस अभ्यासक्रम में सारी कानूनी जानकारी वरिष्ठ अनुभवी अभिवक्ता (advocate) द्वारा दी जाएगी, जिससे गौ रक्षण से जुड़े सारे कार्यकर्ताओं को गौ हत्या रोकने में बल मिलेगा| (अभ्यासक्रम कालावधि – ३ सप्ताह)

    46. प्रगत अनुसन्धान
    47. गौमाता के सन्दर्भ में किसी भी पहेलु पर प्रगत एवं विशेष प्रगत अनुसन्धान / शोध कार्य हेतु विशेष विभाग का आयोजन है| अनुसन्धान के लिए कोई समय मर्यादा नहीं रखी है| अनुसन्धान हेतु आवश्यक सारी सुविधा उपलब्ध कराइ जाएंगी|

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