संपर्क करें::+९१-९३२१८२२३२९
[email protected]
सेवा बगैर विद्या और ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता| यहाँ सारे विषय गौ माता केन्द्रित होने से सर्व प्रथम गौ माता की सेवा अनिवार्य होगी| गौ माता अपनी सेवा से प्रसन्न होगी तो विद्या प्राप्ति का मार्ग सुकर होगा|
विश्वविद्यालय में सीमेंट कंक्रीट से बनी इमारते नहीं होंगी| जो भी बनेगा वह पर्यावरण पोषक ही होगा| यहाँ बांस को जैविक पद्धतीसे जंतु रोधक बनाया जायेगा और उसी से सभी पर्यावरण पोषक बांस के घर बनेंगे|
पर्यावरण को प्रदूषित करनेवाले कोई भी रसायन का उपयोग वर्जित होगा| विश्वविद्यालय में कोई भी पेट्रोल डीजल चालित वाहन को प्रवेश नहीं होगा| कोई भी प्लास्टिक की थैली या बोतल या अनावश्यक कोई भी प्लास्टिक की वस्तु परिसर में लाना वर्जित रहेगा|
विश्वविद्यालय का केंद्र बिंदु गौ माता होने से गौशाला होना तो स्वाभाविक होगा| लेकिन यह गौशाला का स्वरुप विशेष होगा| पूर्ण रूप से आदर्श गौशाला बनेगी| हमें कैसे अच्छा लगेगा ऐसे गौमाता को नहीं रखना है, परन्तु गौमाता को कैसे अच्छा लगेगा यह समज कर गौशाला का निर्माण और व्यवस्थापन होगा|
गौमाता की नस्ल सुधर और संवर्धन हेतु अच्छी नस्ल के सांड विकसित करनेका प्रयोजन है| नस्ल में सुधर होने से गौमाता से प्राप्त पंचगव्य भी उच्च गुणवत्ता युक्त बनेगा|
सारे कार्यकर्ता गौमाता की सेवा के लिए समर्पित है| सारे कार्यकर्ते अच्छी नौकरी या व्यवसाय छोड़कर इस कार्य में समर्पण भाव से अपनी क्षमता के आधार पर अपनी सेवा देने हेतु स्वयं प्रेरित है|
सारे प्रयोजन का प्रबंधन एवं संचालन करने वाले कार्यकर्ता गौमाता के प्रति समर्पित होने से उन के द्वारा किया गया प्रबंधन योग्य ही होगा|
सारे अभ्यासक्रम पढ़ने हेतु उस विषय के निष्णात प्राचार्य सम्पूर्ण भारत से आयेंगे| केवल लिखी पढाई बाते नहीं, परन्तु प्रत्यक्ष कार्य के अनुभवी प्राचार्य होंगे|
कोई भी विद्या केवल लिखने या पढ़ने से पूर्णतया समज में आएगी ही ऐसा नहीं होता| उस विषय में प्राविण्य लेन हेतु वह कार्य स्वयं कर के देखने से ही प्राप्त होता है| इसी लिए यहाँ शिक्षा में सर्वाधिक हिस्सा प्रात्यक्षिक का ही होगा|
निष्णात और विषय के विद्वानोकी समिति के वर्षो के अनुभव के निचोड़ से अभ्यास सामग्री बनायी गयी है| जिससे विद्यार्थी अपना अभ्यास गहराई से कर सके और विषय को समजना आसान होगा|
भारतीय संस्कृति में ३ चीजे कभी बेचीं नहीं जाती, परन्तु पुण्य प्राप्ति का साधन माना जाता है| १- पानी, २- अन्न और ३- विद्या इनका कभी व्यापार नहीं होता था| गौ विश्वविद्यालय में भी अभ्यास, निवास एवं भोजन सभी निशुल्क होगा|
पंचगाव्यो के माध्यम से औषधि, खाद, सौंदर्य प्रसाधन ऐसे अन्य ३५० उत्पाद के उत्पादन की प्रणाली विकसित करनी है|
पंचगव्य चिकत्सा विषय के अभ्यासक्रम में आवश्यक प्रात्यक्षिक सिखाने हेतु विद्यार्थियों के अनुपाद में चिकित्सालय एवं बाह्य रुग्णालय भी विकसित होगा|
गौवंश आधारित खेती और रोप वाटिका के अभ्यासक्रम में आवश्यक प्रात्यक्षिक हेतु प्रत्यक्ष औषधि वनस्पति, अन्न, फल और सब्जी की खेती बड़ी मात्रा में होगी||
यह गौ विश्वविद्यालय सुचारू रूप से चलने हेतु मुख्य आवश्यकताओं में जल, अन्न, वस्त्र, मिटटी के बर्तन और बिजली इन पाचो का आवश्यकता नुसार उत्पादन विश्वविद्यालय के परिसर में ही होगा| जिन वस्तुओं का उत्पादन परिसर में संभव नहीं होगा वैसी ही चीजे बाहर से आएँगी, जैसे नमक आदि|
पश्चिमी अर्थशास्त्र के आधार से अभी कंपनी निर्मित वस्तुए खरीद सकना याने ही गरीबी रेखा के ऊपर होना माना जाता है| और इसी लिए गाँव का पैसा शहर में बड़ी मात्रा में जाता है| गौ आधारित ग्रामीण अर्थशास्त्र के आधार से शहर का पैसा फिर से गाँव में लाने का प्रयत्न विश्वविद्यालय के अभ्यास्क्रमोके माध्यम से किया जाएगा|
आध्यात्मिक उन्नति के लिए जो अष्टांग योग का प्रयोग नियमित रूप से करते है, उनके शारीर, मन और प्राणों में होने वाले बदलाव को योग्य दिशा देने का और संतुलित रखने का काम पंचगाव्यो से ही संभव होगा| जिस वजह से विश्वविद्यालय आध्यात्मिक उन्नति का स्त्रोत बनेगा|